सोमवार, 20 अक्तूबर 2008

औरत ( ग़ज़ल )

नदी की धार चट्टानों पै जब आकर झरी होगी !
तभी से आदमी ने बाँध की साजिश रची होगी !!

तुझे देवी बनाया और पत्थर कर दिया तुझको !
तरेगी भी अहिल्या तो चरण रज राम की होगी !!

मरुस्थल में तुम्हारा हाल तो उस बूँद जैसा है !
जिसे गुल पी गए होंगे जो काँटों से बची होगी !!

कहीं पर निर्वसन है और निर्वासन कहीं पर है !
नहीं कुछ फर्क है, तू द्रोपदी या जानकी होगी !!

धुएँ को देखनेवालो ,ज़रा सा गौर से देखो !
यहीं पर आँच भी होगी , यहीं थोड़ी नमी होगी !!

तुम्हारी शख्सियत अंधों का हाथी ही रही हरदम !
मिठासों की कहानी है जो गूंगे ने कही होगी !!


© 1994Lalit Mohan Trivedi All Rights Reserved

11 टिप्‍पणियां:

पारुल "पुखराज" ने कहा…

धुएँ को देखनेवालो ,ज़रा सा गौर से देखो !
यहीं पर आँच भी होगी , यहीं थोड़ी नमी होगी !!
bahut khuub..

श्रीकांत पाराशर ने कहा…

Dil ke andar utar jane wala andaz. bahut khoob.

कंचन सिंह चौहान ने कहा…

तुझे देवी बनाया और पत्थर कर दिया तुझको !
तरेगी भी अहिल्या तो चरण रज राम की होगी !!

कहीं पर निर्वसन है और निर्वासन कहीं पर है !
नहीं कुछ फर्क है, तू द्रोपदी या जानकी होगी !!

तुम्हारी शख्सियत अंधों का हाथी ही रही हरदम !
मिठासों की कहानी है जो गूंगे ने कही होगी !!

shabda nahi mil rahe Trvedi Ji.... Goo.nge ke gud ki sthiti hai... kya kahu.n jo aap samajh jaye.n ki bhasha aur bhav ka abhutpurva sammishran hai is kavita me. bas kuchh kahate nahi ban raha.

siddheshwar singh ने कहा…

अच्छा,
बहुत बढ़िया,
सुंदर,
वाह..(और आदि - इत्यादि )
यदि इनसे ऊपर/उम्दा कोई शब्द है तो उसे मेरी ओर से टिप्पणी जानें.
सचमुच!!

गौतम राजऋषि ने कहा…

वाह वाह....एकदम कसी हुई गज़ल....यहीं पर आँच भी होगी,यहीं थोडी नमी होगी...
सुभानल्लाह

डॉ.भूपेन्द्र कुमार सिंह ने कहा…

tumhari shakshiyat andhon ka hathi hee rahi herdam,
mithason ki kahani hai jo andhon ne kahi hogi
bahut sunder bimb hai bhaiya .
maan na hee padega ki purana so sona
aapka bhoopendra

"SHUBHDA" ने कहा…

कंचन जी के ब्लॉग पर निः शक्तों से जुड़े आपके अच्छे विचार बहुत अच्छे लगे।
शेष शुभ
इति शुभदा

"SHUBHDA" ने कहा…

आज पूरा ब्लॉग पीने का मौका मिला

पावों में जंजीर, दौड़ की इच्छा मन भर दी !तूने भी ज्यादती .............., मुझसे की !! सबसे अच्छी यही लगी , इसका मतलब ये कतई नही की पहने लाख गेरुआ से यूँ ही नही तक सब यूँ ही है। कुल मिलकर तुम्हारी शख्सियत ................ हाँ मेरे जैसों के लिए ई फॉर एलिफेंट ही है।

शेष शुभ ....

श्रद्धा जैन ने कहा…

नदी की धार चट्टानों पै जब आकर झरी होगी !
तभी से आदमी ने बाँध की साजिश रची होगी !!

wah kya baat kahi hai

aapko pahli baar pada aur bus aapke fan ho gaye hain

तुझे देवी बनाया और पत्थर कर दिया तुझको !
तरेगी भी अहिल्या तो चरण रज राम की होगी !!

ye sher kamaal kaha hai

मरुस्थल में तुम्हारा हाल तो उस बूँद जैसा है !
जिसे गुल पी गए होंगे जो काँटों से बची होगी !!

kya baat hai
कहीं पर निर्वसन है और निर्वासन कहीं पर है !
नहीं कुछ फर्क है, तू द्रोपदी या जानकी होगी !!

bahut bahut achha

धुएँ को देखनेवालो ,ज़रा सा गौर से देखो !
यहीं पर आँच भी होगी , यहीं थोड़ी नमी होगी !!

तुम्हारी शख्सियत अंधों का हाथी ही रही हरदम !
मिठासों की कहानी है जो गूंगे ने कही होगी !!

bahut khoob aapki kalam ke fan ho gaye


aap zayada likhe bhaut zayada likhe

vandana gupta ने कहा…

aurat ki yahi kahani hai..........aur use aapne itne sashakt tarike se pesh kiya hai.....kya baat hai.
har shabd mein jaise ............?

kya kahun.......nishabd ho gayi hun.

maine bhi apne blog par aurat ke halat par likha tha kabhi fursat mein padhiyega.........jism ke rishtey.

vandana-zindagi.blogspot.com

Archana Gangwar ने कहा…

नदी की धार चट्टानों पै जब आकर झरी होगी !
तभी से आदमी ने बाँध की साजिश रची होगी !!

wah kya baat kahi hai


तुझे देवी बनाया और पत्थर कर दिया तुझको !
तरेगी भी अहिल्या तो चरण रज राम की होगी !!

aapko paheli baar para hai....
aur perte waqt yu lag raha tha ki kitni jaldi sara per jaye.....

aapne kaha ki meine jyada nahi likha .......

are kitaab ke paanno se uske gyan ko kaha mapa jata hai.....
aapki lekhni ki gaherai ko kya mapa ja sakta hai ....