पावों में जंजीर, दौड़ की इच्छा मन भर दी !
तूने भी ज्यादती बनाने वाले , मुझसे की !!
जीवन में सब थोड़ा थोड़ा
ये संस्कार उमर भर ओढा
रस की बूँदें तो छलकायीं
लेकिन कसकर नहीं निचोडा
मीरा की झांझर जैसा मन , व्यापारी सा जीवन !
ऊपर से ढाई आखर की भाषा मन भर दी !!
तूने भी ज्यादती ......................
मौसम सर्द , हवाएं तीखीं
नभ असीम , अरु गीली पंखियाँ
फ़िर भी साथ निभायीं मैंने
उजला मन , कजरारी अखियाँ
फिसलन भरी राह पर चलना , वैसे क्या कम था !
जो कबीर की साफ़ चदरिया , मेरे सर धर दी !!
तूने भी ज्यादती ...................
गहरी प्यास समंदर खारे
भटक मरा हूं द्वारे द्वारे
फ़िर भी अहम् न टूटा इतना
जो नदिया से हाथ पसारे
सर तो झुक जाने को आतुर , छाती मगर तनी है !
जी भर कर रोने पर भी तो पाबंदी धर दी !!
तूने भी ज्यादती ...................
© 2002 Lalit Mohan Trivedi All Rights Reserved
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10 टिप्पणियां:
bahut sundar panktiyan hain.
"सर तो झुक जाने को आतुर , छाती मगर तनी है !
जी भर कर रोने पर भी तो पाबंदी धर दी !"
बहुत खूब!
पावों में जंजीर, दौड़ की इच्छा मन भर दी !
तूने भी ज्यादती बनाने वाले , मुझसे की !!
जीवन में सब थोड़ा थोड़ा
ये संस्कार उमर भर ओढा
रस की बूँदें तो छलकायीं
लेकिन कसकर नहीं निचोडा
kya aat hai
फिसलन भरी राह पर चलना , वैसे क्या कम था !
जो कबीर की साफ़ चदरिया , मेरे सर धर दी !!
waah waah waah
सर तो झुक जाने को आतुर , छाती मगर तनी है !
जी भर कर रोने पर भी तो पाबंदी धर दी !!
bahut khub ji...! bahut khoob....!
सर तो झुक जाने को आतुर , छाती मगर तनी है !
जी भर कर रोने पर भी तो पाबंदी धर दी !!
तूने भी ज्यादती ...................
Ati uttam
सर तो झुक जाने को आतुर , छाती मगर तनी है !
जी भर कर रोने पर भी तो पाबंदी धर दी !!
तूने भी ज्यादती ...................
Kya baat hai...
सर तो झुक जाने को आतुर , छाती मगर तनी है !
जी भर कर रोने पर भी तो पाबंदी धर दी !!
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क्या बात है त्रिवेदी जी! मजा आ गया!
दीपक भारतदीप
गहरी प्यास समंदर खारे
भटक मरा हूं द्वारे द्वारे
फ़िर भी अहम् न टूटा इतना
जो नदिया से हाथ पसारे
एक शेर याद आ गया ---
कमज़र्फ़ नहीं हूँ के मैं मांग के पी लूँ
पर ये भी नहीं है ऐ मुझे प्यास नहीं है।
सुंदर भाव
फिसलन भरी राह पर चलना , वैसे क्या कम था !
जो कबीर की साफ़ चदरिया , मेरे सर धर दी !!
तूने भी ज्यादती ...................
वाह...बहुत ही उम्दा कविता है! मानना पड़ेगा आपकी लेखन क्षमता को!
वाह वाह बंधुवर
अच्छी रचना
साधुवाद
bahut hi khoobsoorat panktiyan
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