गुरुवार, 4 सितंबर 2008

आँख से अश्क भले ही न गिराया जाए .....( ग़ज़ल )

आँख से अश्क भले ही न गिराया जाये !
पर मेरे गम को हँसी में न उड़ाया जाये !!

तू समंदर है मगर मैं तो नहीं हूँ दरिया !
किस तरह फ़िर तेरी देहलीज़ पै आया जाये !!

दो कदम आप चलें तो मैं चलूँ चार कदम !
मिल तो सकते हैं अगर ऐसे निभाया जाये !!

मुझे पसंद है खिलता हुआ ,टहनी पै गुलाब !
उसकी जिद है कि वो , जूड़े में सजाया जाये !!

या तो कहदे कि है जंजीर ,मुकद्दर मेरा !
या मुझे रक्स का अंदाज़ सिखाया जाये !!

मेरे ज़ज़बात ग़लत , मेरी हर इक बात ग़लत !
ये सही तो है मगर कितना जताया जाये !!

लाख अच्छा सही वो फूल मगर मुरदा है !
कब तलक उसको किताबों में दबाया जाये !!

रौशनी तुमको उधारी में भी मिल जायेगी !
पर मज़ा तब है कि , जब घर को जलाया जाये !!


© 2002 Lalit Mohan Trivedi All Rights Reserve

12 टिप्‍पणियां:

dpkraj ने कहा…

मुझे पसंद है खिलता हुआ ,टहनी पै गुलाब !
उसकी जिद है कि वो , जूड़े में सजाया जाये !!

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क्या बात मजा आ गया। बधाई
दीपक भारतदीप

"अर्श" ने कहा…

lalit sahab aap jaise guni aur sudhi pathak ho to galtion ka pata chalta hai ,aap mere blog me ye mere liye badi bat hai ummid hai ye aane ka kram nirantar jari rahega bhavishya me ..........aapki nai ghazal kafi pasand aai khas taur se.
रौशनी तुमको उधारी में भी मिल जायेगी !
पर मज़ा तब है कि , जब घर को जलाया जाये !!

sundar rachana ke liye badhai.....


regards
Arsh

pallavi trivedi ने कहा…

वाह...इतनी शानदार ग़ज़ल है की कोई शेर नहीं चुन सकती!सारे शेर एक से बढ़कर एक हैं....

Udan Tashtari ने कहा…

लाख अच्छा सही वो फूल मगर मुरदा है !
कब तलक उसको किताबों में दबाया जाये !!


--गजब!! बहुत बेहतरीन!!

अमिताभ मीत ने कहा…

तू समंदर है मगर मैं तो नहीं हूँ दरिया !
किस तरह फ़िर तेरी देहलीज़ पै आया जाये !!
दो कदम आप चलें तो मैं चलूँ चार कदम !
मिल तो सकते हैं अगर ऐसे निभाया जाये !!
या तो कहदे कि है जंजीर ,मुकद्दर मेरा !
या मुझे रक्स का अंदाज़ सिखाया जाये !!

क्या बात है भाई. बहुत उम्दा ग़ज़ल, हर शेर कमाल. वाह !

वीनस केसरी ने कहा…

मुझे पसंद है खिलता हुआ ,टहनी पै गुलाब !
उसकी जिद है कि वो , जूड़े में सजाया जाये !!


लाख अच्छा सही वो फूल मगर मुरदा है !
कब तलक उसको किताबों में दबाया जाये !!

दो शेर बहुत खूब लगे
वीनस केसरी

शेरघाटी ने कहा…

umda gazal hai.
wazan aur bhar ka mujhe zyaada ilm nahin
lekin khyaal khoob hai.

siddheshwar singh ने कहा…

ललित जी,
आज आपके ब्लाग आकर उंचे दर्जे की संवेदना की छुवन पाई,
अब तो निरंतर आवाजाही बने रहेगी
मेरे मित्र,मेरे भाई!

एस. बी. सिंह ने कहा…

मुझे पसंद है खिलता हुआ ,टहनी पै गुलाब !
उसकी जिद है कि वो , जूड़े में सजाया जाये !

मैं तो उत्सुकतावश आपके ब्लॉग पर आया था क्या पता था की इतनी उम्दा ग़ज़ल पढ़ने को मिलेगी। अबा तो आना जाना लगा रहेगा।

कंचन सिंह चौहान ने कहा…

दो कदम आप चलें तो मैं चलूँ चार कदम !
मिल तो सकते हैं अगर ऐसे निभाया जाये !!

मेरे ज़ज़बात ग़लत , मेरी हर इक बात ग़लत !
ये सही तो है मगर कितना जताया जाये !!

waah waah..! kya bat hai

राजेश शर्मा ने कहा…

आज आपका ब्लॉग और कविताएँ देखने का सौभाग्य मिला
अत्यंत श्रेष्ठ. अब आप" कोने " से निकल कर विश्व पटल
पर आ गए हें .
राजेश शर्मा .

Yogesh Luthra ने कहा…

kya baat hain sir puri gajal bahut hi shandaar bhavo se saji hui hain
kya khoob shbdo ka chyan
or kya technicality wah ustar wah