आईना यूँ मुझे , बरगलाता रहा !
दाहिने को वो बाँया दिखाता रहा !!
दुश्मनी की अदा देखिये तो सही !
करके एहसान, हरदम जताता रहा !!
तार खींचा औ ' फिर छोड़कर,चल दिया !
मैं बरस दर बरस झनझनाता रहा !!
उसने कोई शिकायत कभी भी न की !
इस तरह भी मुझे वो सताता रहा !!
मुझको मालूम था एक पत्थर है वो !
आदतन पर मैं सर को झुकाता रहा !!
ना फटा,ना बुझा, मन का ज्वालामुखी !
एक लावा सा बस खदबदाता रहा !!
देखिये तो "ललित "की ये जिद देखिये !
पायलें , पत्थरों से, गढ़ाता रहा !!
© 2011 lalit mohan trivedi All Rights Reserved
दाहिने को वो बाँया दिखाता रहा !!
दुश्मनी की अदा देखिये तो सही !
करके एहसान, हरदम जताता रहा !!
तार खींचा औ ' फिर छोड़कर,चल दिया !
मैं बरस दर बरस झनझनाता रहा !!
उसने कोई शिकायत कभी भी न की !
इस तरह भी मुझे वो सताता रहा !!
मुझको मालूम था एक पत्थर है वो !
आदतन पर मैं सर को झुकाता रहा !!
ना फटा,ना बुझा, मन का ज्वालामुखी !
एक लावा सा बस खदबदाता रहा !!
देखिये तो "ललित "की ये जिद देखिये !
पायलें , पत्थरों से, गढ़ाता रहा !!
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9 टिप्पणियां:
♥
आईना भी मुझे , बरगलाता रहा !
दाहिने को वो बाँया दिखाता रहा !!
शानदार मतले से शुरू बेहतरीन ग़ज़ल !
आदरणीय ललितमोहन त्रिवेदी जी
सस्नेहाभिवादन !
ख़ूबसूरत ग़ज़ल के लिए बहुत बधाई
मुझको मालूम था एक पत्थर है वो !
आदतन पर मैं सर को झुकाता रहा !!
ना फटा,ना बुझा, मन का ज्वालामुखी !
एक लावा सा बस खदबदाता रहा !!
हर शे'र लाजवाब !
बहुत अच्छा लगा आपके यहां आ'कर ...
~*~नव संवत्सर की बधाइयां !~*~
शुभकामनाओं-मंगलकामनाओं सहित…
- राजेन्द्र स्वर्णकार
बहुत खूब!
आदरणीय स्वर्णकार जी एवं आदरणीया अनुपमा जी ,
मेरे ब्लॉग पर आने और सराहना के लिए बहुत बहुत धन्यवाद !यह सिलसिला यूँ ही चलता रहे यही कामना है !
bilkul haqikat ke nazdik pahuchane ka dhanywad ji..sunder
बहुत शानदार ग़ज़ल शानदार भावसंयोजन हर शेर बढ़िया है आपको बहुत बधाई
http://madan-saxena.blogspot.in/
http://mmsaxena.blogspot.in/
http://madanmohansaxena.blogspot.in/
बहुत गहरी और शानदार गज़ल है . हर शेर दिल को छूता हुआ ..
आप ग्वालियर से हैं ,यह जानकर खुशी हुई.
Bahut bahut dhanywad Girija ji .kshama chahta hun , aaj hi dekh paya
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